★श्री बालगोपाल★

 
★श्री बालगोपाल★
सोभित कर नवनीत लिए । घुटुरुनि चलत रेनु तन-मंडित, मुख दधि लेप किये । चारू कपोल , लोल लोचन, गोरोचन-तिलक दिये । लट-लटकनि मनु मधुप-गन मादक मधूहिं पिए । कठुला-कंठ, ब्रज केहरि-नख, राजत रुचिर हिए । धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख, का सत कल्प जिए ॥1॥ किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत । मनिमय कनक नंद कैं आँगन, बिंब पकरिबैं धावत । कबहुँ निरखि हरी आपु छाँह कौं, कर पकरन चाहत । किलकि हँसत राजत द्वै दतियाँ, पुनि-पुनि अवगाहत । कनक-भूमि पर कर-पग-छाया, यह उपमा इन राजति । करि-करि प्रतिपद प्रतिमनि बसुधा, कमल बैठकी साजति । बाल दसा-सुख निरखि जसोदा, पुनि-पुनि नन्द बुलावति । अँचरा तर लै ढ़ाँकि, सूर के प्रभु कौं दूध पियावति ॥2॥ सिखवति चलन जसोदा मैया । अरबराइ कर पानि गहावत, डगमगाइ धरनी धरे पैया । कबहुँक सुंदर बदन विलोकति, उर आनंद भरि लेत बलैया । कबहुँक कुल देवता मनावति, चिरजीवहु मेरौ कुँवर कन्हैया । कबहुँक बल कौं टेरि बुलावति , इहिं आँगन खेलौ दोउ भैया । सूरदास स्वामी की लीला, अति प्रताप बिलसत नँदरैया ॥3॥ चलत देखि जसुमति सुख पावै । ठुमकि-ठुमकि पग धरनी रेंगत, जननी देखि दिखावै । देहरि लौ चलि जात, बहुरि फिरि-फिरि इतहीं कौं आवै । गिरि-गिरि परत, बनत नहिं नाँघत सुर-मुनि सोच करावै । कोटि ब्रह्मांड करत छिन भीतर, हरत बिलंब न लावै । ताकौं लिए नंद की रानी, नाना खेल खिलावै । तब जसुमति कर टेकि स्याम की, क्रम-क्रम करि उतरावै । सूरदास प्रभु देखि देखि, सुर-नर-मुनि-बुद्धि भुलावै ।4॥ नंद जू के बारे कान्ह, छाँडि दै मथनियाँ । बार-बार कहति मातु जसुमति नंदरनियाँ । नैंकु रही माखन देउँ मेरे प्रान-धनियाँ । आरि जनि करौ, बलि जाउँ हौं निधनियाँ । जाकौ ध्यान धरैं सबै, सुर-नर-मुनि जनियाँ । ताकौ नँदरानी मुख चूमै लिए कनियाँ । सेष सहस आनन गुन गावत नहिं बनियाँ । सूर स्याम देखि सबै भूलीं गोप-धनियाँ ॥5॥ कहन लागे मोहन मैया-मैया । नंद महर सौं बाबा बाबा, अरु हलधर सौं भैया । ऊँचे चड़ी चढ़ी कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया । दूरि खेलन जनि जाहु लला रे, मारैगी काहु की मैया । गोपी ग्वाल करत कौतूहल, घर घर बजति बधैया । सूरदास प्रभु तुम्हरें दरस कौं, चरननि की बलि जैया ॥6॥ गोपालराइ दधि माँगत अरु रोटी । माखन सहित देहि मेरी मैया,सुषक सुमंगल, मोटी । कत हौ आरि करत मेरे मोहन तुम आँगन मै लोटी । जौ चाहौ सो लेहु तुरतहीं, छाँड़ी यह मति खोटी । करि मनुहारि कलेऊ दीन्हौ, मुख चुपर्‌यौ अरु चोटी । सूरदास को ठाकुर ठाढ़ौ, हाथ लकुटिया छोटी ॥7॥ बरनौं बाल-बेष मुरारि । थकित जित-तित अमर-मुनि-गन, नंद-लाल निहारी । केस सिर बिन बपन के चहुँ दिसा छिटके झारि । सीस पर धरि जटा, मनु निसु रूप कियौ त्रिपुरारि । तिलक ललित ललाट केसरबिंदु सोभाकारि । रोष-अरुन तृतीय लोचन, रह्यौ जनु रिपु जारि । कंठ कठुला नील मनि, अंभोज-माल सँवारि । गरल ग्रीव, कपाल डर इहिं भाइ भए मदनारि । कुटिल हरि-नख हिऐँ हरि के हरषि निरखति नारि । ईस जनु रजनीस राख्यौ भाल तैं जु उतारि । सदन-रज स्याम सोभित, सुभग इहिं अनुहारि । मनहुँ अंग बिभूति-राजति संभु सो मधुहारि । त्रिदस-पति-पति असन कौं अति जननि सौं करै आरि । सूरदास विरंचि जाकौं जपत निज मुख चारि ॥8॥ मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी ? किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी । तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, ह्वै है लाँबी-मोटी । काढँत-गुहत न्हवावत जैहै नागिन सी भुइँ लोटी । काचौ दूध पियावति पचि-पचि, देति न माखन-रोटी । सूरज चिरजीवी दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी ॥9॥ हरि अपनैं आँगन कछु गावत । तनक-तनक चरननि सौं नाचत , मनहिं मनहिं रिझावत । बाँह उठाइ काजरी-धौरी, गैयनि टेरि बुलावत । कबहुँक बाबा नंद पुकारत, कबहुँक घर मैं आवत । माखन तनक आपनैं कर लै, तनक बदन मैं नावत । कबहुँक चितै प्रतिबिंब खंभ मैं, लौनी लिए खवावत । दुरि देखति जसुमति यह लीला, हरष अनंद बढ़ावत । सूर स्याम के बाल-चरित, नित नितही देखत भावत ॥10॥ जसुमति जबहि कह्यौ अन्हवावन, रोइ गए हरि लोटत री । तेल उबटनौ लै आगै धरि, लालहिं चोटत पोटत री । मैं बलि जाउँ न्हाउ जनि मोहन, कत रोवत बिनु काजैं री । पाछै धरि राख्यौ छपाइ कै, उबटन-तेल-समाजैं री । महरि बहुत बिनती करि राखति, मानत नहीं कन्हैया री । सूर स्याम अतिहीं बिरुझाने, सुर-मुनि अंत न पैया री ॥11॥ ठाढ़ी अजिर जसोदा अपनैं, हरिहिं लिए चंद दिखरावत । रोवत कत बलि जाउँ तुम्हारी, देखौं धौ भरि नैन जुड़ावत । चितै रहै तब आपुन ससि-तन अपने कर लै-लै जु बतावत । मीठौ लागत किधौं यह खाटौ, देखन अति सुन्दर मन भावत ! मनहीं मन हरि बुद्धि करत हैं माता सौं कहि ताहिं मँगावत । लागी भूख, चँद मैं खैहौं, देहि देहि रिस करि बिरुझावत । जसुमति कहति कहा मैं कीनौ, रोवत मोहन अति दुख पावत । सूर स्याम कौं जसुमति बोधति, गगन चिरैया उड़त दिखावत ॥12॥ सुनि सुत, एक कथा कहौं प्यारी । कमल-नैन मन आनँद उपज्यौ, चतुर सिरोमनि देत हुँकारी । दसरथ नृपति हुतौ रघुबंसी, ताकै प्रगट भए सुत चारी । तिनमैं मुक्य राम जो कहियत, जनक सुता ताकी बर नारी । तात-बचन लगि राज तज्यौ तिन, अनुज धरनि सँग गए बनचारी । धावत कनक मृगा के पाछैं, राजिव लोचन परम उदारी । रावन हरन सिया कौ कीन्हौ, सुनि नँद-नंदन नींद निंवारी चाप चाप करि उठे सूर प्रभु, लछिमन देहु, जननि भ्रम भारी ॥13॥ जागौ, जागौ हो गोपाल । नाहिंन इतौ सोइयत सुनि सुत ,प्रात परम सुचि काल । फिर-फिर जात निरखि मुख छिन छिन, सब गोपनि के बाल । बिन बिकसे कल कमल-कोष तैं मनु मधुपनि की माल । जो तुम मोहिं न पत्याहु सूर प्रभु, सुन्दर स्याम तमाल । तौ तुमहीं देखौ आपुन तजि निद्रा नैन बिसाल ॥14॥ कमल-नैन हरि करौ कलेवा । माखन-रोटी, सद्य जम्यौ दधि, भाँति-भाँति के मेवा । खारिक, दाख, चिरौंजी, किसमिस, उज्वल गरी बदाम । सफरी, सेव, छुहारे, पिस्ता, जे तरबूजा नाम । अरु मेवा बहु बाँति-भाँति हैं षटरस के मिष्ठान्न । सूरदास प्रभु करत कलेवा, रीझे स्याम सुजान ॥15॥ मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायौ । मोसौं कहत मोल कौ लीन्हौं, तू जसुमति कब जायौ । कहा करौं इहि रिस के मारैं खेलन हौं नहिं जात । पुनि-पुनि कहत कौन है माता, को है तेरौ तात । गोरे नंद, जसोदा गोरी तू कत स्यामल गात । चुटकी दै-दै ग्वाल नचावत, हँसत सबै मुसकात तू मोहीं कौं मारन सीखी, दाउहि कबहुँ न खीझै । मोहन मुख रिस की ये बातैं, जसुमति सुनि-सुनि रीझै । सुनहु कान्ह, बलभद्र चबाई,जनमत ही कौ धूत । सूर स्याम मोहिं गोधन की सौं, हौं माता तू पूत ॥16॥ खेलन दूरि जात कत कान्हा । आजु सुन्यौ मैं हाऊ आयौ, तुम नहिं जानत नान्हा । इक लरिका अबहीं भजि आयौ, रोवत देख्यौ ताहि । कान तोरि वह लेत सबनि के, लरिका जानत जाहि । चलौ न, बेगि सबारै जैये, भाजि आपनें धाम । सूर स्याम यह बात सुनतही बोलि लिए बलराम ॥17॥ खेलत मैं को काकौ गुसैयाँ । हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैया । जाति-पाँति हमतैं बड़ नाहीं, बसत तुम्हारी छैयाँ । अति अधिकार जनावत यातै जातै अधिक तुम्हारै गैयाँ । रूहठि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ ग्वैयाँ । सूरदास प्रभु खैल्योइ चाहत, दाउँ दियौ करि नंद-दुहैयाँ ॥18॥ हर कौं टेरति है नंदरानी । बहुत अबार भई कहै खेलत रहे मेरे सारँग पानी ? सुनतहिं टेर, दौरि तहँ आए, कब के निकसे लाल । जेंवत नहीं नंद तुम्हरै बिनु, बेगि चलौ, गोपाल । स्यामहिं ल्याई महरि जसोदा तुरतहिं पाइँ पखारे । सूरदास प्रभु संग नंद कैं बैठे हैं दोउ बारे ॥19॥ जेंवत कान्ह नंद इकठौरे । कछुक खात लपटात दोऊ कर बालकेलि अति भोरे । बरा कौर मेलत मुख भीतर, मिरिच दसन टकटौरे । तीछन लगी नैन भरि आए, रोवत बाहर दौरे । फूँकति बदन रोहिनी ठाढ़ी, लिए लगाइ अँकोरे । सूर स्याम कीं मधुर कौर दै, कीन्हे तात निहोरे ॥20॥ मोहन काहें न उगिलौ माटी । बार-बार अनरुचि उपजावति, महरि हाथ लिए साँटी । महतारी सौं मानत नाहीं, कपट-चतुरई ठाटी । बदन उघारि दिखायौ अपनौ, नाटक की परिपाटी । बड़ी बार भई लोचन उघरे, भरम-जवनिका फाटी । सूर निरख नँदरानि भ्रमित भई, कहति न मीठी-खाटी ॥21॥ नंद करत पूजा, हरि देखत । घंट बजाइ देव अन्हवायौ, दल चंदन लै भेटत । पट अंतर दै भोग लगायौ, आरति करी बनाइ । कहत कान्ह, बाबा तुम अरप्यौ, देव नहीं कछु खाइ । चितै रहे तब नंद महरि-मुख सुनहु कान्ह की बात । सूर स्याम देवनि कर जोरहु, कुसल रहै जिहिं गात ॥22॥ कहत नंद ,जसुमति सौं बात । कहा जानिए कह तै देख्यौं मेरैं कान्ह रिसात । पाँच बरष को मेरौ कन्हैया, अचरज तेरी बात । बिनहीं काज साँटि ले धावति, ता पाछै बिललात । कुसल रहैं बलराम स्याम दोउ, खेलत-खात--अन्हात । सूर स्याम कौं कहा लगावति, बालक कोमल गात ॥23॥
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Для создания этой картины "★श्री बालगोपाल★" было использовано 13 рисунков.
Animated background red
Surprised Krishna
Animated Star Frame~Red©mousey2013
DECO GOLD RED GLITTER
SERCE LOVE valentine HEART
gold deco - melarocks_stamps
DECO GOLD transparent  ymialma
WINTER ZIMKA  CHRISTMAS GLITTER STAR SILVER
транс ivk deco pendant
star
RAMCIA  AUTUMN GLITTER  FRAME GOLD
BNAR CHRISTMAS XMAS STARS
I Love You!
 

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★श्रीराधेकृष्ण★
★पधारो राधा संग सरकार★खुले हैं मन मन्दिर के द्वार★
 

Комментарии

ArisLollipop92

ArisLollipop92 пишет:

3129 days назад
        ☆ 
(¯*( 'ω' )*¯)  
  (. /(")(")\ .) 
☆ωση∂єяƒυℓ
☆☆ƒαηтαѕтι¢
☆☆☆мαgηιƒι¢єηт   
I.M.S.T.

I.M.S.T. пишет:

3135 days назад
✿XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX✿                                                    ✿✿✿✿Wonderful creation *****      
Thanks for your friendship,✿✿✿✿   
comments and votes✿✿✿✿✿✿✿       
✿XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX✿ 
karla13deagosto

karla13deagosto пишет:

3138 days назад
PERFECT
+1000 000 STARS
°*”˜˜”*°•.¸☆
♥Ƹ̵̡Ӝ̵Ʒ..•°*"˜
.(ړײ)/       
.«▓       
. ╝╚
winona100

winona100 пишет:

3139 days назад
      (`*•.¸(`*•.¸ ¸.•*´¸.•*´
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Thanks for your friendship,
 for votes and your 
dear comments.
   (¸.• *´(¸.•*´ `*•.¸`*•.¸
Hugs & Kisses Sylvia
Huberta43

Huberta43 пишет:

3140 days назад
alle 5 ★★★★★
cooles Bild
yuliette5

yuliette5 пишет:

3140 days назад
✿ ~ ڿڰ✿ HELLO!
♥ WONDERFUL ")
♥ -'¸.-. ") .- ♥ ¨)
(.- '(.- `♥♥") ♥ 5 ☆☆☆☆☆
╰ ☆ ╮✩ ★ ✩ Thanks ♥ ✩ ★ ✩╰ ☆ ╮
hugs
siemprejuntas2

siemprejuntas2 пишет:

3140 days назад
¦.(¯`*´¯)´´¯`•°*”˜˜”*°•. BELLISIMO
¦.`*.¸.*.•°*”˜˜”*°•.LOVELY CREATION
¦.•°*”˜˜”*°•. FIVE * * * * *STARS
¦   °*”˜˜”*°© SJ ©°*”˜˜”*°
elizamio

elizamio пишет:

3140 days назад
         ....
      Є •• Э      
       (_♥_)
       .Ƹ̴Ӂ̴Ʒ.  Aωєѕσмє
     (.\.||./.)..·´´¯`·.¸¸.✫ 5ⓢⓣⓐⓡⓢ

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