★श्रीराधा★

 
★श्रीराधा★
Этот штамп был использован 5 раз
सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर* साधन हीन, दीन मैं राधे, तुम करुणामई प्रेम-अगाधे..... काके द्वारे, जाय पुकारे, कौन निहारे, दीन दुखी की ओर.... सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। करत अघन नहिं नेकु उघाऊँ, भरत उदर ज्यों शूकर धावूँ, करी बरजोरी, लखि निज ओरी, तुम बिनु मोरी, कौन सुधारे दोर। सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। भलो बुरो जैसो हूँ तिहारो, तुम बिनु कोउ न हितु हमारो, भानुदुलारी, सुधि लो हमारी, शरण तिहारी, हौं पतितन सिरमोर। सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। गोपी-प्रेम की भिक्षा दीजै, कैसेहुँ मोहिं अपनी करी लीजै, तव गुण गावत, दिवस बितावत, दृग झरि लावत, ह्वैहैं प्रेम-विभोर। सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। पाय तिहारो प्रेम किशोरी !, छके प्रेमरस ब्रज की खोरी, गति गजगामिनि, छवि अभिरामिनी, लखि निज स्वामिनी, बने कृपालु चकोर॥ सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर।
Теги:
 
shwetashweta
выгрузил: shwetashweta

Оцените это изображение:

  • В настоящее время 4.2/5 звездочек.
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5

4 Голосов.