☀श्री सीता राम लक्ष्मण हनुमान☀

 
☀श्री सीता राम लक्ष्मण हनुमान☀
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देव- जानकीनाथ, रघुनाथ, रागादि-तम-तरणि, तारूण्यतनु , तेजधामं। सच्चिदानंद, आनंदकंदकंदाकरं, बिश्व-विश्राम, रामाभिरामं।1। नीलनव-वारिधर-सुभग-शुभकांति, कटि पीत कौशेय वर वसनधारी। रत्न-हाटक-जटित-मुकुट-मंडित-मौलि, भानु-शत-सदृश उद्योगकारी।2। श्रवण कुंणल, भाल तिलक, भ्रूरूचिर अति, अरूण अंबोज लोचन विशालं। वक्र -अवलोक, त्रैलोक-शोकापहं मार-रिपु -हृदय-मानस-मरालं।3। नासिका चारू सुकपोल, द्विज वज्रदुति, अधर बिंबोपमा, मधुरहासं। कंठ दर, चिबुक वर, वचन गंभीरतर, सत्य-संकल्प सुरत्रास-नासं।4। सुमन सुविचित्र नव तुलसिकादल-युतं मृदुल वनमालु उर भ्राजमानं। भ्रमत आमोदवश मत्त मधुकर-निकर, मधुरतर मुखर कुर्वन्ति गानं।5। सुभग श्रीवत्स, केयूर, कंकण,हार, किंकिणी-रटनि कटि -तट रसालं। वाम दिसि जनकजासीन-सिंहासनं कनक-मृदुवल्लिवत तरू तमालं।6। आजानु भुजदंड-मंडित वाम बाहु, दक्षिण पाणि बाणमेकं। अखिल, मुनि-निकर, सुर , सिद्ध, गंधर्व वर नमत नर नाग अवनिप अनेकं।7। अघन, अविछिन्न, सर्वज्ञ,सर्वेश, खलु सर्वतोभद्र-दाताऽसमाकं। प्रणतजन-खेद-विच्छेद-विद्या-निपुण नौमि श्रीराम सौमित्रिसाकं।8। युगल पदपद्म सुखसद्म पद्मालयं, चिन्ह कुलिशादि शोभिति भारी। हनुमंत-हदि विमल कृत परममंदिर, सदा दासतुलसी-शरण शोकहारी।9।
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