❤जय श्री राधे❤

 
❤जय श्री राधे❤
जयति श्री राधिके सकल सुख साधिके, तरुनि मनि नित्य नवतन किशोरी। कृष्ण तनु लीन मन रूप की चटकी, कृष्ण मुख हिम किरण की चकोरी।। कृष्ण दृग भृंग विश्राम हित पद्मिनी, कृष्ण दृग मृगज बन्धन सुडोरी। कृष्ण अनुराग मकरंद की मधुकरी, कृष्ण गुनगान रससिन्धु बोरी।। एक अद्भुत अलौकिक रीति मैं लखी, मनसि स्यामल रंग अंग गोरी। और आश्चर्य कहूँ मैं न देख्यो सुन्यो, चतुर चौसठिकला तडवी भोरी।।
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