❤️श्री बालकृष्ण❤️

 
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अलबेला कान्हा बेगा पधारी म्हारे बाग में।। टेर ।। द्वार द्वार पर तोरण बाँधू अरु बनमाल सजाऊँ। अतर गुलाब केवड़ा जूही मारग में छिड़काऊँ।। जी. ।। 1 ।। केशर अरु कस्तूरी का मन मोहक तिलक लगाऊँ। चुन चुन फुलवा माला गूंथूं प्रियतम ने पहनाऊँ।। जी. ।। 2 ।। छप्पन भोग छतीसूं बिंजन सुवरण थाल सजाऊँ। चंदन चोकी उपर बिठाऊँ कर मनुहार जिमाऊँ।। जी. ।। 3 ।। एला लोंग सुपारी डारूँ बीड़ा पान खवाऊँ। पंखो ढ़ोलू रूप निहारूँ प्रीत की रीत निभाऊँ।। जी. ।। 4 ।। नैण ढ़ोलिये उपर बिठाऊँ कोमल चरन दबाऊँ। मनड़े रा सब भाव प्रभूजी थांसूं नायँ छिपाऊँ।। जी. ।। 5 ।। सांवरि सूरत माधुरि मूरत हिवड़े मायँ बिठाऊँ। जनम जनम थांरा गुण गाऊँ चरन कँवल लिपटाऊँ।। जी. ।। 6 ।।
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