★श्री राधा श्यामसुन्दर★
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आली, म्हांने लागे वृन्दावन
नीको।
घर घर तुलसी ठाकुर पूजा दरसण
गोविन्दजी को॥
निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध
दही को।
रतन सिंघासन आप बिराजैं, मुगट धर्यो
तुलसी को॥
कुंजन कुंजन फिरति राधिका, सबद सुनन
मुरली को।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बजन बिना नर
फीको॥
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