❤श्री राधा मुरलीधर❤

 
❤श्री राधा मुरलीधर❤
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एक स्वरूप सदा द्वै नाम। आनन्द की आह्लादिनी श्यामा आह्लादिनी के आनन्द श्याम।। ♥ श्रीराधा माधव, श्रीमाधव राधा-दोनों एक स्वरूप। एक तत्त्व सच्चिदानन्दमय एक भाव-रस परम अनूप॥ दुग्ध-धवलता, अग्रि-दाहि का, रवि-‌आभा सब नित्य अभिन्न। करते तदपि भाव-रस-पूरित लीला ललित पृथक्‌-परिछिन्न॥ राधा प्रकृति-परा, निर्लिप्ता, कृष्णस्वरूपा, कृष्णाराम। कृष्णात्मा, कृष्णानुरागरूपा, कृष्णप्राणा अभिराम॥ कृष्णसुखा कृष्णारूप केवल करतीं लीला अविराम। प्रेमाधिष्ठात्री देवी, परमाद्या, रासेश्वरी ललाम॥ परमाह्लादरूपणी, धन्या, मान्या, उच्चादर्श महान। कृष्ण-नित्य-‌आनन्दोदधि को भी करतीं आनन्द-प्रदान॥ सकल रूप-गुण-गर्व-हारिणी, कृष्णचित्तहारिणि निष्काम। नित्य-‌अतुल-निज-गौरवपूर्णा, नित गौरव-विस्मृता तमाम॥ कृष्णस्तुता, कृष्ण-‌आराध्या, कृष्ण-वक्ष-वासिनी उदार। कृष्णाराधनपरा, कर रहीं तत्सुखार्थ ही नित्य विहार॥
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